Chhattisgarh News

छत्तीसगढ़ के राजकीय गीत पर कॉपीराइट विवाद?

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय राजकीय गीत “अरपा पैरी के धार” (Copyright dispute on Chhattisgarh’s state song) पर कॉपीराइट के दावे के कारण राज्य में नया विवाद खड़ा हो गया है। इस मसले ने साहित्य, कला और सरकारी हलकों में चर्चाओं को तेज़ कर दिया है।

विवाद की शुरुआत

  • राज्य के राजकीय गीत “अरपा पैरी के धार” पर हाल ही में कुछ संगीत प्रोड्यूसर्स या यूट्यूब चैनलों द्वारा कॉपीराइट दावा किया गया।
  • इसका असर यह है कि कई यूट्यूब चैनलों और सोशल मीडिया पर इस गीत का उपयोग करने वालों को copyright claim या वीडियो हटाने का नोटिस मिला।

प्रमुख बिंदु

  • छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के बौद्धिक संपदा अधिकार केंद्र के विशेषज्ञों का कहना है कि:
    • किसी भी वीडियो आधारित प्रस्तुति या एडिटिंग पर कॉपीराइट हो सकता है, लेकिन स्वयं राजकीय गीत पर कॉपीराइट लागू नहीं होता। यह सरकारी अधिसूचना से सार्वजनिक संपत्ति घोषित है
  • राज्य सरकार ने अपने पोर्टल पर गीत का standardized ऑडियो वर्जन भी जारी कर रखा है
  • गीत के बोल लेखक नरेंद्र देव वर्मा द्वारा लिखे गए हैं, लेकिन 2016 में इस गीत को राजकीय दर्जा मिल गया था — यानी अब यह राज्य की सार्वजनिक धरोहर में शामिल है।

किसका है अधिकार?

बिंदुजानकारी
गीत का लेखकनरेंद्र देव वर्मा
अधिकारिक दर्जा2016 से राज्य गीत (सरकारी अधिसूचना)
कॉपीराइट स्थितिसरकारी अधिसूचना के बाद सार्वजनिक, स्वयं गीत पर कॉपीराइट नहीं
वीडियो/संगीत प्रस्तुतिविशेष रिकॉर्डिंग, वीडियो या म्यूजिक पर कॉपीराइट संभव है

सरकार और विशेषज्ञों की राय

  • विशेषज्ञों के अनुसार, जिस किसी ने राजकीय गीत का ऑरिजिनल वीडियो या खास संगीत माधुर्य तैयार किया है, केवल उस version पर कॉपीराइट दावा हो सकता है, न कि पूरे गीत पर
  • आमजन, कलाकार या स्कूल आदि को राज्य गीत गाने, बजाने अथवा प्रसारित करने पर कोई रोक नहीं हो सकती।

विवाद के असर

  • सोशल मीडिया पर लोग इस बात का विरोध कर रहे हैं कि राजकीय गीत पर निजी कॉपीराइट के दावे आखिर कैसे?
  • राजकीय, सांस्कृतिक और सामाजिक मंचों पर गीत को गाने/बजाने के अधिकार सुरक्षित बने रहने चाहिए — यह माँग प्रमुखता से उठ रही है।

वीडियो में कॉपीराइट हो सकता है, लेकिन इस गाने का कॉपीराइट नहीं हो सकता है, क्योंकि ये राजकीय गीत है तथा शासन की अधिसूचना से यह घोषित है।

“अरपा पैरी के धार” छत्तीसगढ़ की राज्य पहचान का हिस्सा है और आमजन को इसे गाने व प्रसारित करने का अधिकार है। तथापि, किसी विशेष प्रस्तुति या वीडियो रिकॉर्डिंग पर निजी कॉपीराइट लागू हो सकता है, लेकिन पूरे गीत पर नहीं

यह विवाद जागरूकता के साथ-साथ राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

Related Articles

Back to top button