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भू-माफिया का भूत उतारने निकले दो अफसर!

बलरामपुर में चल रहा था पट्टा माफिया का खेल, दो 'युवा अफसर ' बने उनका सिरदर्द।

सरगुजा/जनदखल/… सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में दो नाम इन दिनों माफियाओं की नींद उड़ा रहे हैं — आईएफएस आलोक बाजपेई और आईपीएस वैभव बैंकर। जिन भू-माफियाओं ने वन विभाग की ज़मीन को अपनी जागीर समझ रखा था, उनके लिए अब ये अफसर बुरे ख़्वाब बन गए हैं।

क्या था पूरा खेल?

बलरामपुर, जो झारखंड की सीमा से सटा इलाका है, यहाँ फर्जी वन अधिकार पट्टों का एक गंदा धंधा चल रहा था। संगठित अंतरराज्यीय गिरोह, भोले-भाले ग्रामीणों से पैसे लेकर वन विभाग की ज़मीन पर अवैध पट्टे तैयार करा रहा था। और यह सब होता रहा— अंदरूनी सेटिंग और सरकारी खामोशी की छांव में।

लेकिन इस बार मामला हाथ में आया दो युवा अफसरों के—

डीएफओ आलोक बाजपेई, जिन्होंने पहले भी कई सौ एकड़ पर अवैध कब्जा साफ कर दिखाया है

एसपी वैभव बैंकर, जो जमीन पर उतरे और कार्रवाई को अंजाम तक पहुँचाया

एक्शन मोड: माफिया सलाखों के पीछे

दोनों अधिकारियों ने मिलकर ताबड़तोड़ छापेमारी की और 29 एकड़ जमीन पर फर्जी पट्टा बनवाने वाले अविनाश दुबे, विपिन कुजूर और सुरेंद्र आयाम को धर दबोचा। जेल भेज दिया गया, और अब इनके नेटवर्क की परत-दर-परत जांच जारी है।

कांग्रेस नेता टीएस सिंहदेव भी कई बार अपने बयानों के जरिए इस मुद्दे को उठा चुके है।
इस मुद्दे पर पूर्व डिप्टी सीएम टी एस सिंहदेव ने भी खुलकर कहा था कि “अब चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, वन पट्टों पर ब्रेक लगना चाहिए।” उन्होंने भी माना था कि पट्टों के नाम पर राजनीतिक दलों ने गलत परंपरा को जन्म दिया।

अब रोल मॉडल बन रही है ये कार्यवाही।

पूर्ववर्ती सरकार में जिस तरह वन भूमि की “बंदरबांट” हुई थी, वो सवालों के घेरे में है। लेकिन अब बाजपेई-बैंकर की जोड़ी ने एक साफ़ संदेश दिया है—
“भू-माफिया अब सावधान हो जाएं, सिस्टम अब हाथ में डंडा लेकर खड़ा है।”

✍️ जनदखल की राय:

छत्तीसगढ़ सरकार को चाहिए कि आलोक बाजपेई जैसे अफसरों को ‘रोल मॉडल’ मानकर पूरे प्रदेश में इसी तरह की कार्रवाई को स्टैंडर्ड बनाए। भू-माफिया के खिलाफ अब सिर्फ कार्रवाई नहीं, एक आंदोलन की जरूरत है — और इसकी शुरुआत बलरामपुर से हो चुकी है।

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