बदमाशों से अब शांति का सौदा! – दुर्ग पुलिस का नया फॉर्मूला, 75% गुंडों ने भरा ‘अपराध नहीं करेंगे’ बॉन्ड
780 चिन्हित गुंडों में से 330 से अधिक से यह बॉन्ड भरवाया जा चुका है

दुर्ग / जनदखल /… क्या अपराध अब सिर्फ एक काग़ज़ी वादा भर है? दुर्ग पुलिस ने जिले के 780 से ज़्यादा निगरानीशुदा बदमाशों से अपराध न करने का “बॉन्ड एग्रीमेंट” भरवाना शुरू किया है। जी हां, अब बदमाश लिखकर दे रहे हैं कि “अपराध नहीं करेंगे” – और अगर वादा तोड़ा तो भरना पड़ेगा जुर्माना या जाना होगा जेल।
जनता की सोच – ‘क्या वाकई जुर्म पर लगाम लगेगी या ये सिर्फ नया तमाशा है?’
एसएसपी विजय अग्रवाल का दावा है कि 23 थानों और 6 चौकियों के अंतर्गत आने वाले 780 चिन्हित गुंडों में से 330 से अधिक से यह बॉन्ड भरवाया जा चुका है – यानी 75.24% पर ‘कानूनी लगाम’ लग चुकी है। लेकिन क्या कागज़ का ये बॉन्ड डर पैदा करेगा या सिस्टम में छिपी नर्मी को और उजागर करेगा?
बॉन्ड की हकीकत
इस बॉन्ड में साफ लिखा है – यदि तय अवधि में आरोपी ने दोबारा कोई अपराध किया, तो उसे तय जुर्माना भरना होगा या जेल जाना पड़ेगा। तीन बदमाश पहले ही बॉन्ड तोड़ चुके हैं – अब उनकी राशि जब्त की जा रही है।
SSP का आदेश – “हर सक्रिय बदमाश से बॉन्ड लो”
पद्मनाभपुर थाने में एक बदमाश की राशि जमा हो चुकी है। बाकियों के लिए भी एसएसपी ने थानेदारों को सख्त निर्देश दिए हैं – “अपने क्षेत्र के सभी बदमाशों को बॉन्ड के दायरे में लाओ।”
कानून के जानकार सवाल उठाते है:
क्या अपराध सिर्फ एक बॉन्ड से रुक सकते हैं, या ये दिखावे की कार्रवाई है?
तीन बदमाश बॉन्ड के बावजूद अपराध कर चुके हैं – तो बाकी का भरोसा कैसे किया जाए?
क्या यह नीति अपराधियों को लीगल छूट देने जैसा तो नहीं?
जनदखल की राय:
अपराधियों से वादा लेकर शांति की उम्मीद करना ठीक वैसा है जैसे भेड़ियों से कह देना कि वो बकरियों के रक्षक बन जाएं। पुलिस की मंशा अच्छी है, पर सख्ती के बिना सिर्फ कागज़ी वादों से अपराध नहीं रुकते।