Exclusive

छत्तीसगढ़ में 37 हज़ार शिक्षकों के पद गायब: युक्तियुक्तकरण के बाद चौंकाने वाले आंकड़े

रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (rationalization) की प्रक्रिया के बाद शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा विवाद और चिंता सामने आई है। इस प्रक्रिया में खासतौर पर शिक्षकों के हज़ारों पद समाप्त या “गायब” होने की खबरें सुर्ख़ियों में हैं।

क्या है युक्तियुक्तकरण?

  • यह प्रक्रिया शिक्षकों की संख्या व संसाधनों का संतुलित वितरण करने के इरादे से की जाती है।
  • स्कूलों में छात्रों और शिक्षकों का अनुपात सही करने तथा ऐसे स्कूल जहां कम छात्र हैं, उन्हें पास के अन्य स्कूल में मर्ज (विलय) किया जाता है.
  • सरकार के मुताबिक यह छात्रों के हित में है, जबकि शिक्षक संघ और विपक्ष इसे रोजगार विरोधी बता रहे हैं।

कितने पद हुए “गायब”?

  • हाल के आदेशों के बाद दावा है कि प्रदेश में 37,000 से लेकर 45,000 तक शिक्षकों के पद समाप्त या “गायब” हो गए हैं.
  • शिक्षक संघ का आरोप है कि rationalization के नाम पर 4,000 से अधिक स्कूलों को बंद किया जा सकता है और 45,000 तक शिक्षक पदों को खत्म किया जा सकता है.
  • इसके विरोध में शिक्षक संगठनों ने बड़े स्तर पर आंदोलन और मंत्रालय घेराव की चेतावनी भी दी है.

मौजूदा हालत

बिंदुआंकड़े या विवरण
कुल सरकारी स्कूल (2025)करीब 54,185
पूरी तरह शिक्षक विहीन स्कूल297
एकमात्र शिक्षक वाले स्कूल7,127
प्राथमिक स्कूलों में औसत छात्र-शिक्षक अनुपात21.84
युक्तियुक्तकरण से संभावित प्रभावित पद37,000-45,000

विवाद व प्रतिक्रिया

  • सरकार का मत: छात्रों के लिए गुणवत्ता बढ़ेगी, संसाधनों का बेहतर वितरण होगा
  • शिक्षक संघ और विपक्ष: शिक्षकों की भर्तियां रुकेंगी, बेरोजगारी बढ़ेगी, शिक्षा व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

छत्तीसगढ़ में युक्तियुक्तकरण के तहत बड़े पैमाने पर शिक्षकों के पद या तो खत्म किए जा रहे हैं या तात्ती तौर पर “गायब” हो रहे हैं। इससे सरकारी शिक्षा और रोजगार की स्थिति को लेकर बहस तेज हो गई है, और राज्य के शिक्षा तंत्र पर इसका स्पष्ट असर दिख सकता है.

“शिक्षक संघ का आरोप है कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर चार हजार से ज्यादा स्कूल बंद हो जाएंगे और 45 हजार शिक्षकों के पद को भी खत्म कर दिया जाएगा।”

अभी यह प्रक्रिया जारी है और इसके दूरगामी असर पर सभी पक्षों की पैनी नजर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button