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24 page letter of naxalites: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी की 24 पन्नों की बुकलेट ने खोले कई चौंकाने वाले राज़

24 page letter of naxalites

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी ने 24 पृष्ठों की बुकलेट जारी की है, (24 page letter of naxalites) जिसमें एक साल में 357 नक्सली मारे जाने, संगठन की अंदरूनी स्थिति व शहीदी सप्ताह मनाने जैसी अहम घोषणाएं की गई हैं। जानिए पूरी रिपोर्ट, विश्लेषण और सरकारी प्रतिक्रिया।

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी की बुकलेट: 24 पृष्ठों में हिंसा, हताशा और बड़ा बदला

मुख्य बातें:, 24 page letter of naxalites

बुकलेट का विश्लेषण

छत्तीसगढ़ में सक्रिय नक्सली संगठन ने पहली बार इतने खुले तौर पर अपनी कमजोरी और नुकसान को माना है। बुकलेट साफ बताती है कि पिछले वर्ष 357 नक्सली सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए, जिनमें 136 महिला सदस्य थीं। सबसे ज्यादा मौतें दंडकारण्य ज़ोन में दर्ज की गईं—यह इलाका नक्सल आंदोलन का गढ़ माना जाता रहा है।

बुकलेट में यह स्वीकारोक्ति भी सामने आई कि संगठन को भारी संख्या में वरिष्ठ कैडर खोने पड़े हैं। 4 केंद्रीय कमेटी सदस्य और 15 वरिष्ठ राज्य स्तरीय सदस्य शीर्ष नेतृत्व के बड़े नुकसान का संकेत हैं। इतना बड़ा नुकसान पहली बार सार्वजनिक स्वीकृति के रूप में सामने आया है, जिससे संगठन की हताशा झलकती है।

महिला नक्सलियों की बढ़ती संख्या पर चिंता

बुकलेट में खास तौर पर महिला नक्सलियों के मारे जाने की संख्या को प्रमुखता से दर्शाया गया है। यह नक्सली संगठन के भीतर महिलाओं की बढ़ती सक्रियता और उनकी भर्ती की रणनीति की ओर भी संकेत करता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि गांवों में महिलाओं को आकर्षित करने की रणनीति का एक अंत है, और लंबे संघर्ष के बाद मौतों की संख्या बढ़ जाना संगठन के कमजोर होने का संकेत है।

सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ा

सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, यह नक्सली बुकलेट सरकार की नीतियों–चौकसी, तकनीकी निगरानी और स्थानीय सहयोग—की सफलता का प्रमाण है। हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों ने जिन नए तकनीकी उपायों (जैसे ड्रोन सर्विलांस, सोशल सेल्स, सैटेलाइट नेटवर्क आदि) को अपनाया, उससे नक्सलियों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी संभव हुई। दंडकारण्य समेत कई ज़िलों में संयुक्त ऑपरेशन से लगातार सफलता मिल रही है, और इलाके से नक्सल नेटवर्क का तेजी से सफाया हो रहा है।

शहीदी सप्ताह: अलर्ट पर पुलिस

नक्सलियों ने बुकलेट में घोषणा की है कि वे परंपरागत रूप से 28 जुलाई से 3 अगस्त तक शहीदी सप्ताह मनाएँगे। इसका उद्देश्य अपने मृत साथियों को याद करना है, वहीं दूसरी ओर इस दौरान प्रचार-प्रसार बढ़ जाता है। आमतौर पर इस दौरान नक्सली पोस्टर, बैनर, सभा और हमले जैसी कार्रवाइयाँ तेज़ कर सकते हैं। इसी वजह से पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा, कांकेर जैसे ज़िलों में सक्रिय गश्त और सतर्कता बढ़ा दी है।

केंद्र सरकार की नई रणनीति

भारत सरकार ने 2026 तक नक्सल समस्या को खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुताबिक ज़्यादातर नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए आपसी समन्वय के ऑपरेशन सफल रहे हैं। साथ ही, स्थानीय जनता के विश्वास अर्जन के लिए सरकारी योजनाएं और पुनर्वास कार्यक्रम भी कारगर रहे हैं।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त फोर्स व संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि नक्सलियों के बचे हुए गुटों का पूरी तरह सफाया किया जा सके।

बुकलेट से झांकता भविष्य

इस 24 पृष्ठीय बुकलेट से स्पष्ट है कि:

यह संकेत करता है कि आने वाले वक्त में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खात्मे के आसार प्रबल हो गए हैं।

स्थानीय जनता की भूमिका

सुरक्षा बलों की सफलता के पीछे आमजन का सहयोग भी अहम कारण रहा है। बस्तर, दंडकारण्य भूमिपुत्रों ने बढ़-चढ़कर सुरक्षा बलों को सूचना देकर कई नक्सली ठिकानों का पर्दाफाश किया। जनता के विश्वास और सुरक्षा की हामीदारी ने संगठन की जड़ों को हिलाया है।

2025 में छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या: क्या बदला?

वास्तविकता की स्वीकारोक्ति: बुकलेट में मारे गए नक्सलियों का डेटा और सरकारी रणनीति का प्रभाव बखूबी झलकता है।

मुठभेड़ में लगातार गिरावट: पिछले कुछ वर्षों में मुठभेड़ों की संख्या और हिंसक घटनाओं में लगातार गिरावट रिकॉर्ड हुई।

रोजगार और पुनर्वास: सरकार की ओर से नक्सल प्रभावित इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार योजनाओं के फोकस के चलते युवाओं का विश्वास नक्सलियों से हटकर मुख्यधारा की ओर बढ़ा है।

24 page letter of naxalites: नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी की 24 पन्नों की बुकलेट केवल हताशा की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की कमजोर होती संरचना की खुली गवाही है। सुरक्षा बलों के स्थाई ऑपरेशनों, बेहतर रणनीति और आम जनता के साथ से नक्सली नेटवर्क की कमर टूट रही है। आने वाले समय में, शहीदी सप्ताह के मौके पर सुरक्षा बल सतर्क हैं और सरकार का दावा है कि नक्सलवाद का अंत करीब है।

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